Saturday, May 30, 2020

अंधा, लंगड़ा और बहरा कानून



आखिरकार वकील साहब जनता से मुखातिब हुए। वो हमेशा की तरह गुस्से में थे। वो कानून के जानकार हैं। मगर चुप रहते हैं। दरअसल पूरा मंत्रीमंडल ही चुप रहता है। उसे पी एम ओ से इशु अलाट किए जाते हैं। आप आज जाकर इस विषय पर बोलें। फार्मेट सबको मालूम है। रेल मंत्री पीयूष गोयल, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर फील्डिंग के लिए उतारे जाते हैं। इन मंत्रियों की खासियत ये है कि ये अपने मंत्रालय के अलावा सभी विषयों पर बात कर सकते हैं। ये सभी राहुल गांधी के विशेषज्ञ हैं। इनका फार्मेट तय है। सबसे पहले मोदी स्तुति करना है। इसके बाद राहुल गांधी के ट्वीट पर बीट करना है। देश में इतना अच्छा वातावरण है कि पत्रकार वार्ता में स्तुति और आरती होती है। फिर कुछ भजन इत्यादि। अंत में दुष्टों का नाश हो। गोमाता की जय। सनातन धर्म की जय। कांग्रेस का नाश हो। वगैरह बोलकर इति वार्ताः श्रोयन्ताम हो जाता है।
तो वकील साहब आए। बैठे। नथुने फुलाए। सांस छोड़ी, फिर ली फिर छोड़ी फिर दीर्घ श्वसन। अच्छा हुआ सूर्य नमस्कार नहीं किया। वैसे भी उसका एक दिन मुअइययन है। उसी दिन करना है और विश्व कीर्तिमान बनाना है। विश्व के इतिहास में पहली बार, भारत के इतिहास में पहली बार इत्यादि विशेषणों के बिना तो खबर ही नहीं बनती। तो वकील साहब ने कहा कि ’’राहुल ने पांच तरीकों से कोरोना की जंग कमजोर करने की कोशिश की। पहली बात - निगेटिविटी फैलाई, दूसरा - संकट के समय देश के खिलाफ काम किया। तीसरा- झूठी वाहवाही लूटने की कोशिश की। चैथा - उनकी कथनी और करनी में फर्क है। पांचवां - उन्होंने गलत तथ्य और झूठी खबरें उड़ाईं। उनके पास प्लान हो तो हमें बताएं’’। वकील साहब ने ये भी बताया कि राहुल गांधी महाराष्ट्र की सरकार को बचाने के लिए प्रधानमंत्री से सवाल पूछ रहे हैं। ये राहुल गांधी इतने ज्यादा बड़बोले हो गये हैं कि इन्होंने हमारे प्रधानमंत्री की आलोचना की जब उन्होंने करोना की लड़ाई में भारत की जनता से तालियां और थालियां पिटवाईं, जब दिये जलवाये और दिवाली मनवाई।
तो ये वकील साहब हमारे देश के कानून मंत्री हैं। इनकी बातों में कितना ज्यादा कानून दिखाई देता है। यदि ऐसा आदमी देश का कानून मंत्री है तो आप अंदाज कर लीजिये कि देश में किस कानून का राज है। इनके आरोप तो देखिये। ये वकील साहब जिनका केस लड़ते होंगे उसका क्या होता होगा। कानून मंत्री ने देश को जागरूक किया कि कारोना की लड़ाई राहुल गांधी के कारण कमजोर हो गई। बहुत अच्छे भाई। एक बात तो मान ली कि लड़ाई कमजोर हो गई। फिर कहा कि निगेटिविटी फैलाई। सच बात है जिसकी चोरी पकड़ी जाए वो कह सकता है कि तुम निगेटिव हो। फिर बोले कि संकट के समय देश के खिलाफ काम किया। जब ये गद्दारी की जा रही थी तब आप क्या कर रहे थे कानून मंत्री जी। आज तो बिना किसी अपराध के लोग देशद्रोह में बंद किए जा रहे हैं। ’युद्ध और शांति ’ नाम की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक घर में रखने पर लोग जेल में हैं। आप के पास तो सुनहरा मौका था कानून मंत्री जी। इस अपराधी को पकड़ने का। इसके बाद उनका आरोप बहुत तीखा है। राहुल ने झूठी वाहवाही लूटने की कोशिश की। आप तो इसके विशेषज्ञ हैं झूठी वाहवाही लूटने के। आपकी बाॅल दूसरे ने खेल ली। बहुत बुरा हुआ। ये शिकायत वाजिब है। चैथी शिकायत भी ठीक नहीं है। उनकी कथनी और करनी में फर्क है। वो तो निगेटिव आदमी हैं। करना उन्हें कुछ है नहीं। करते तो सबकुछ आप हैं फिर कथनी करनी में फर्क कैैसा। अंतिम तर्क ये है उन्होंने गलत तथ्य और झूठी खबरें उड़ाईं। पर आपने बताया नहीं कि सही तथ्य और सही खबरें क्या हैं। फिर आपने पूछा कि आपके पास कोई प्लान हो तो बताएं ? बहुत अच्छे। बहुत ही अच्छे। वो अपना प्लान आपको बताएं। सरकार आप चला रहे हैं और प्लान वो बताएं। यही तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री से पूछ रहे हैं कि लाॅक डाउन तो फेल हो गया है अब प्लान बी बताईये। तालियां बज गईं। थालियां बज गईं। दीवाली मन गई। हद है बेशर्मी की। आर्मी बैंड बज गए। बहारों फूल बरसाओ भी हो गया। सचमुच हमारा देश विश्वगुरू है। लोग बीमारों का इलाज कर रहे हैं ये बहारो फूल बरसाओ कर रहे हैं।
इन सत्ताधारी लौहपुरूषों के दिलों की जांच होना चाहिए। इतने हृदयद्रावक दृश्यों में भी फूल से खिले हुए हैं। करोड़ों आदमी भूखा प्यासा सड़कें नाप रहा है। मर रहा है। बच्चे बूढ़े महिलाएं सब तड़फ रहे हैं। कह रहे हैं कि मरना तो है घर जाकर मर जाएंगे। भूखे यहां भी मरना है वहां भी मरना है। पांच ट्रिलियन इकाॅनामी ( आखिर ये होती क्या है ?) का सपना दिखाने वाले नंगे पैर चलते मजदूरों को एक बोतल पानी नहीं दे पा रहे। खाना तो दूर। ये कह नहीं पा रहे कि तुम सवा सौ करोड़ भारतवासी लोगों को ’’ मैं ’’ खाना खिलाउंगा, पानी पिलाउंगा, तुम्हारे बच्चों को दूध दवाई दूंगा। तुम लोग अपने घर पर रहो।
मगर गुरूर आसमान पर है। शर्म नहीं आती सत्ता पर काबिज तुम हो और दोषी राहुल गांधी है। आजतक कभी सुना है कि रेल रास्ता भटक जाती है। पानी का जहाज, नाव, हवाई जहाज, बस मोटरकार तो सुना है कि रास्ता भटक गई। कहीं जाना था और कहीं चली गई। मगर रेल गाड़ी - पटरी पर चलने वाली रेलगाड़ी 600 - 700 कि मी रास्ता भटक गई। एक नहीं दो नहीं बीसों रेलगाडि़यां रास्ता भटक गईं। उनके रास्ते में कोई स्टेशन नहीं पड़ा। कोई सिग्नल नहीं दिखाया गया। 30 घंटे का सफर 90 घंटे में बिना खाना पानी के। जब रेल रूकती है तो लाशें उतारना पड़ती हैं। ये सब इसीलिए तो क्योंकि इसमें कोई रेलमंत्री कोई रेलअधिकारी, कोई मध्यवर्गीय सवार नहीं था। ये श्रमिक स्पेशल है। इसमें मजदूर सवार थे। ’ये लोग तो ऐसे ही होते हैे।’ इनका कोई नाम नहीं होता। इनकी केवल गिनती होती है। 11 मजदूर रेलपटरी पर सोते हुए मर गए। ये लोग रेल की पटरी पर सोए ही क्यों ? सोयंेगे तो कटेंगे। वाजिब बात। न्याय की कुर्सी पर ये कहा जा रहा है।
अपने होने पर शर्म आती है।
- सुखनवर
29 05 2020