कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना
इसे कहते हैं शालीनता। सज्जनता। बुढ़ापे की नैतिकता। बुढ़ापे का जा तुझे माफ किया वाला भाव। राजदीप सरदेसाई को भी कारण नहीं मिला कि आखिर आडवाणी ने सॉरी क्यों कहा। जब बोफोर्स कांड हुआ तो यही आरोप था कि पैसा कमाया गया और उसे विदेशी बैंकों में रखा गया। देश की जनता को यह भ्रम दिया गया कि यह पहला अवसर है जब रक्षा सौदे में पैसा खाया जा रहा है। जबकि जनता को शिक्षित किया जाना चाहिए था कि भाईयों हथियार खरीद में पैसा खाने की सुदीर्घ परंपरा है और हमने केवल परंपरा और दलाली संस्कृति का निर्वाह किया है। दूसरी बात यह है कि पैसा कमाया है तो कहीं न कहीं तो रखा जाएगा। भारत के किस बैंक में रखें ? पूरी दुनिया में चोरों ने एक देश तय किया है स्विट्जरलैंड जहां के बैंकों में पैसा रखा जा सकता है। खातेदार का नाम नहीं बताने की गारंटी है। दुनिया भर के दलाल, नेता, सेनापति से लेकर भारत के पी डब्लू डी के इंजीनियर जैसे सेवक सभी इन बैंकों में पैसा रखते हैं। अभी पिछले चुनावों में जब भाजपा को मुद्दों का टोटा था और आडवाणी जी को प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा करना था तो मुद्दों की तलाश की गई उसमें मंथन में यह बात निकली कि विदेशी बैंकों में जमा काला धन वापस लाया जाए तो देश का कल्याण हो जाएगा। मुद्दा उठाने वालों के बीच में यह राय बनी कि यदि अपन यह मामला उठा लेंगे तो सहज ही इस आरोप को बरका सकते हैं कि अपना भी पैसा स्विस बैंक में रखा है। दूसरे हमें भी मालूम है और उन्हें भी मालूम है कि स्विस बैंकों से पैसा न वापस आ सकता है और न पैसा रखने वालों का नाम पता चल सकता है। इसी आधार पर पैसा वहां रखा गया है वरना सारे चोरों के उनके खुदके देशों के बैंक क्या कम थे, वहां ही न रख लेते। दूसरा यह कि भारत के गरीबों को उल्टी सीधी रकम बोलकर चमकाया जाए। भारत के गरीब गुरबा के लिये लाख पचास हजार रूपये बहुत होते हैं। एक मोटर साईकिल के लिये भारत के वीर सपूत अपनी ब्याहता को जला कर मार डालते हैं। ऐसी महान संस्कृति वाले देश में यदि यह कहा जाए कि लाखों हजार करोड़ रूपये विदेशों में जमा हैं और उन्हें वापस लाया जाए तो जनता हमसे प्रभावित हो जाएगी। मगर क्या बताएं शाब जी कि भारत की जनता ने यह समझा कि भाजपा जिनका विरोध कर रही है उनके पास यह पैसा है। और पैसे वाली की इज्जत करने की भी हमारे यहां सुदीर्घ परंपरा है। सो जनता ने पैसे वालों की इज्जत की और कांग्रेस को जिता दिया। चुनाव में जिस तरह से पैसा खर्च होता है उससे भी यह पता चल जाता है कि चुनाव लड़ने वालों के पास भरपूर पैसा है और इसी चुनाव में झांेकने के लिए रखा गया है। जबसे चुनाव आयोग ने नियम कानून कड़े कर दिये हैं तबसे तो पैसा सीधे नकद ही बांटा जाता है। तो जनता का पैसा जनता के चुनाव में जनता पर खर्च हुआ। जिसके पास पैसा है वही चुनाव लड़ सकता है यह अलिखित नियम हमारे प्रजातंत्र में है।
अभी भाजपा ने एक कमेटी की जांच रिपोर्ट प्रकाशित कर दी जिसमें कहा गया है कि 25 लाख करोड़ रूपये काले धन के रूप में विदेशी बैंकों में जमा हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि सोनिया गांधी राजीव गांधी का भी पैसा स्विस बैंक में जमा है। सोनिया जी ने एक पत्र लिखकर आडवानी जी से कहा कि आपने हमारा नाम क्यों लिया ? दिस इज़ वैरी बैड। इसके जवाब में आडवाणी जी ने कहा- ’सारी’ आगे कहा बताया जाता है कि आडवाणी जी ने कहा कि सोनिया जी हमने तो पहले ही जांच रिपोर्ट पहले ही लीक कर दी थी वैसे भी उसमें छुपाने और लीक करने जैसा कुछ था नहीं। आपको उस लीकेज के समय ही जनता को बता देना चाहिए था कि आपका पैसा स्विस बैंक में नहीं है। बात इतनी आगे न बढ़ती।
अब कुछ और सवाल भी उठ रहे हैं। मसलन सोनिया जी ने चिठ्ठी क्यों लिखी ? फोन क्यों नहीं किया ? क्या फोन टेपिंग का डर था ? या इस बात का डर था कि भविष्य में आडवाणी जी कह दें कि सोनिया जी ये ये कहा जबकि उनने न कहा हो। सोनिया जी ने चिठ्ठी में ऐसा क्या लिखा कि आडवाणी जी एकदम भीगी बिल्ली बनकर माफी मांगने लगे। संभवतः चिठ्ठी में ये लिखा होगा।
प्रिय मिस्टर आडवाणी,
मुझे पता लगा है कि आपकी पार्टी ने एक जांच रिपोर्ट में यह कहा है कि मेरा और मेरे स्वर्गीय पति का बोफोर्स की दलाली में कमाया गया पैसा स्विस बैंक में रखा है। यह बात बहुत अनैतिक है और खेल के नियमों के विरूद्ध है। आप भी जानते हैं और हम तो खैर जानते ही हैं क्योंकि हम सरकार चला रहे हैं कि किसका कितना पैसा कहंा रखा है और वो पैसा कहां से आया है। आपने भी केन्द्र की सरकार चलाई है और यह बात आपको बताने की जरूरत नहीं है कि सरकार की ताकत क्या होती है। पैसा कमाने में बहुत मेहनत लगती है और बहुत बदनामी झेलना पड़ती है। पैसा जब्त करने में सरकार को कोई मेहनत नहीं करना पड़ती पर जिसका पैसा जब्त होता है उसे एक बार फिर बदनामी झेलना पड़ती है। इसीलिए हम सबकी भलाई इसी में है कि हम खेल के नियमों का पालन करें और पेनाल्टी किक लगाने का मौका न दें। मैं केवल कल तक इंतजार करूंगी। स्विस बैंकों में किसका पैसा जमा है इसकी सूची सरकार के पास है। कुछ नामों की जानकारी आपको एक छोटी से सूची में भेज रही हूं। मुझे विश्वास है कि सूची पढ़ने के बाद आपके मुंह से यकायक सॉरी सॉरी निकलने लगेगा।
आडवाणी जी ने चिठ्ठी पढ़ी और सॉरी कह दिया। ..........................................................................सुखनवर
Friday, February 25, 2011
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