एक युवा कॉलम लेखक चेतन भगत ने भाजपा को पांच बिना मांगे सुझाव दिये हैं। उनमें से एक तो बहुत ही जबरदस्त है। ये सुझाव वैसा ही है जैसे ये सवाल कि क्या आपने चोरी करना छोड़ दिया है ? सुझाव ये है कि भाजपा को एक साफसुथरी भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी बनना चाहिए। इसके लिए उसे हर साल दस नेताओं के नाम घोषित करना चाहिए और उन्हें पार्टी से निकाल देना चाहिए। कुछ ही सालों में भाजपा एक नई साफसुथरी पार्टी बन जाएगी। यदि भाजपा इस सुझाव को माने नहीं केवल विचार ही करे तो उसका परिणाम क्या होगा ? पार्टी यह स्वीकार करेगी कि वो भ्रष्ट है। वो इतनी भ्रष्ट है कि उसमें से हर साल दस भ्रष्ट लोगों को नाम घोषित कर निकाला जा सकता है। भ्रष्टों की संख्या इतनी अधिक है। यहां पार्टी की मुश्किल ये है कि लोकायुक्त से लेकर आम जन तक हर कोई कह रहा है कि येदियुररप्पा भ्रष्ट हैं पर उन्हें पार्टी की तो छोड़ो मुख्यमंत्री से तक हटाया नहीं जा पा रहा है। किसी को भ्रष्ट कहना और फिर उस कारण उसे पार्टी से निकालना कितना कठिन होता है ये तो भ्रष्ट ही जानता है। भ्रष्ट की गति भ्रष्ट जाने। और फिर अंतिम फैसला तो अदालत का होता है। अदालत के फैसले के बिना आप किसी को कैसे भ्रष्ट कह सकते हैं। तो ये कहना तो बहुत ही कठिन है कि ये दस लोग भ्रष्ट हैं। आखिर ये निर्णय कौन करेगा कि फलां लोग भ्रष्ट हैं। जो लोग निर्णय करेंगे वो भ्रष्ट नहीं हैं इसका निर्णय कौन करेगा।
फिर भाजपा के ऊपर भी कोई है। वो सर्वशक्तिमान है। हर पार्टी का हाई कमांड है। हाई कमांड के निर्णय को चुनौती नहीं दी जा सकती। चाहे कांग्रेस का हो या भाजपा का हो या कम्युनिष्ट पार्टी का। ये हाई कमांड पार्टी हित में जनता से ऊपर होकर सोचता है। पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठककक्ष के पीछे एक अंधेरा बंद कमरा होता है। नेता गण अपना निर्णय लिखकर उस कमरे के अंदर रख देते हैं। थोड़ी देर में हाईकमांड का निर्णय आ जाता है। ये कब क्या निर्णय कर ले। कोई भरोसा नहीं। डी एम के के हाई कमांड के निर्णय के कारण ही आज उसके नेता जेल में हैं।
दूसरा सुझाव और जबरदस्त है। वो ये कि पार्टी अपना प्रधानमंत्री घोषित करे। ये कहने से काम नहीं चलेगा कि हमारे पास बहुत लोग हैं। यदि ये युवा लेखक आडवाणी जी को मिल जाता तो पिट ही जाता। इसे भाजपा के बारे में इतना भी ज्ञान नहीं है और ये भाजपा को सुझाव देने चला है। क्या इसे मालूम नहीं कि पिछले चुनाव में आडवाणी जी बिना जीत की गुंजाइश के स्पेशल मीटिंग बुलाकर अपने आप को प्रधानमंत्री घोषित करवा चुके हैं। फिर सन्यास ले चुके हैं। फिर सन्यासी चोला उतार कर फंेक चुके हैं। वे जबतक हैं तब तक भाजपा में कोई प्रधानमंत्री बनने की सोच भी नहीं सकता। और फिर टीम में दस लोग दौड़ रहे हैं और आप दौड़ को बीच में रोक के एक को फर्स्ट कह दोगे तो बाकी लोग काहे को दौड़ेगे ? ये तो खेल भावना के विपरीत है। जब तक नाम घोषित नहीं है तब तक हर किसी के मन में आस है। आज नाम घोषित हो जाएगा तो बाकी लोग कहेंगे कि भैया आप को प्रधानमंत्री बनना है तो आप मेहनत करो जिता लो चुनाव।
चेतन भगत ने ये सुझाव भाजपा को ही क्यों दिये गये हैं ? दरअसल चेतन भगत को भाजपा से बहुत आशाएं हैं। उन्हें लगता है कि भाजपा में एक आदर्श दक्षिणपंथी पार्टी होने के पूरे गुण हैं। यदि भाजपा रिपब्लिकन पार्टी या डेमोक्रेटिक पार्टी टाइप की कोई पार्टी हो जाए तो देश को अमेरिका बनने से कौन रोक सकता है। वैसे भी मेरा भारत महान। आखिर हम इस देश में क्यों रह रहे हैं ? अमेरिका क्यों नहीं जा रहे। ताकि एक दिन ये देश अमेरिका हो जाए। बाजू में चीन भी अमेरिका बनने में लगा हुआ है। चारों तरफ दुनिया के देश अमेरिका बनने में लगे हुए हैं। हमारे देश में समस्या ये है कि पंथ का कोई झगड़ा नहीं है। नीतियों में कोई मतभेद नहीं है। इसलिए मतभेद के मुद्दे हैं परिवारवाद, सोनिया गंाधी, राहुल गांधी बस। इससे ज्यादा कुछ नहीं। दिक्कत ये कि ये मुद्दे नहीं हैं व्यक्ति हैं। और कांग्रेस को चुनाव जिता ले जाते हैं। .........................सुखनवर 29 07 2011
Wednesday, August 24, 2011
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