Thursday, April 25, 2013

जुर्म और सज़ा : एक बैठक की रिपोर्ट

    मीटिंग में बहुत गहमागहमी थी। काफी दिनों मीटिंग नहीं हुई थी। आज हो रही थी तो कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह देखा जा रहा है। कार्यकर्ताओं को बता दिया गया था कि कोई मुद्दा नहीं मिल रहा है इसीलिए आंदोलन बंद है। दूसरे जल्दी जल्दी आंदोलन करने से वो बात पैदा नहीं होती। अब जब खबरचियों ने खबर दी कि एक बहुत संवेदनशील और संभावनायुक्त मुद्दा मिल चुका है। दिसंबर से अब तक काफी समय भी गुजर चुका है तो मीटिंग बुला ली गई। काफी रात हो चली थी। पर मीटिंग थी के चली जा रही थी। कुछ कार्यकर्ताओं को स्टोर रूम भेज दिया गया था। मोमबत्तियों के बक्से निकालने और प्लेकार्ड्स तैयार करने के लिए। कुछ गंवार कार्यकर्ता आ गये थे जो हिन्दी में प्लेकार्ड्स बनाने लगे थे। उन्हें मार के भगा दिया गया। अच्छी और मंहगी अंग्रेजी बोलने वाले कुछ युवक युवतियों को एसएमएस किया गया। वो जल्दी में काफी कम कपड़े पहनकर आए और काम पर लग गये। पेन्टर्स को खबर कर दी गई। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने संदेश मिलते ही विषय विशेष पर पेन्टिंग बनाना शुरू कर दी हैं। कुछ गिटार बजाने वालों को भी खबर की गई। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहले से कुछ दर्दनाक अंग्रेजी गाने तैयार कर रखे हैं वो स्टेज मिलते ही उन्हें बजाने लगेंगे। टोपियों के बारे में बताया गया कि पिछले आंदोलनों में इतनी टोपियां बन चुकी हैं कि आगामी दस साल तक चलती रहेंगी। आदेश दिया गया कि उन टोपियों में विषय के संदर्भ में कुछ लिख दिया जाए। यदि उनमें फलों के नाम आम बिही केला इत्यादि लिखे हों तो उन्हें मिटा कर गर्मागर्म विषय पर कुछ लिखा जाए।
    सभी चैनलों के चैनलिये वहां मीटिंग में बैठे थे और अपनी भूमिका जानना चाह रहे थे। उन्हें कहा गया कि आप आगामी दस  दिनों तक अपना पूरा समय खाली रखें। हम पूरा मसाला देंगे। आपका एक मिनिट भी खाली नहीं जाएगा। विज्ञापन एजेंटों से बात कर लें। बहुत अच्छा रेट मिलेगा। आंदोलन मसालेदार रहेगा। इमोशन और ऐग्रेशन से भरपूर। दर्शकों को मजा आ जाएगा। चाट पकौडे़ आइसक्रीम वालों के प्रतिनिधि भी आ पंहुचे थे। उन्हें कहा गया कि ये अन्ना वाला जश्नदार आंदोलन नहीं है। हम लोग आपके ठेलों वगैरह की गारंटी नहीं ले सकते। आप लोग अपनी रिस्क पर धंधा करें क्योंकि पब्लिक तो भरपूर रहेगी।
    काम बांटना शुरू किया गया। मोहल्ला कमेटियों को कहा गया कि सुबह दस बजे से इंडिया गेट पंहुचा जाए। मगर यह प्रस्ताव रद्द हो गया। विरोध में कहा गया कि इंडिया गेट पंहुचते ही राष्ट्रपति से दो दो हाथ करने का मन करने लगता है। हम राष्ट्रपति  का कुछ बिगाड़ भी नहीं सकते और राष्ट्रपति भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। हमारी असली लड़ाई सोनिया  और शीला दीक्षित से है। उन्हें ही घेरा जाए। इस पर कई कार्यकर्ताओं ने कहा कि पिछले आंदोलन में दिल्ली का पुलिस कमिश्नर बच गया था। ये हमारा अपमान है। इस बार उसे नहीं छोड़ेंगे। चैनलियों ने कहा कि हमारे कैमरे हर अधिकारी मंत्री का पीछा करते रहेंगे। आप लोग भी उनका पीछा करिये। जो भी मिल जाए उसे इतना चिढ़ाइये कि वो भड़क जाए। बस काम बन जाएगा। कोई बड़ा अधिकारी पकड़ में न आए तो सिपाही से ही लड़ जाइये मगर न्यूज जोरदार बनना चाहिए। इसकी जिम्मेदारी कुछ सिद्धहस्त महिलाओं को दी गई। सिद्धहस्त महिलाओं से कहा गया कि वो रात भर अभ्यास कर लें और जितना हो सके अंग्रेजी में लड़ाई करें क्योंकि साउथ वगैरह के चैनलों को कवर करने में दिक्कत होती है।
    तय किया गया कि जंतर मंतर तो पंहुचा ही जाए साथ ही सोनिया जी और शीला दीक्षित के घरों पर भी पंहुचा जाए। झगड़ा इसी से बढेगा। किसी उत्साही कार्यकर्ता ने कहा कि राजघाट चला जाए। कार्यकर्ता की इस मूर्खता पर लोग जी भर के हंसे। उसे समझाया गया कि पिटाई के बाद राजघाट ही जाएंगे। उसके पहले गांधी जी का कोई रोल इस आंदोलन में नहीं है। कार्यकर्ताओं को आदेश दिया गया कि पिछले आंदोलन से सबक लिया जाए और आंसू गैस, वाटर जैट इत्यादि की नौबत न आए क्योंकि अंततः पिटे हुए लोग घर चले जाते हैं और हम लोग नए नए लोग पिटने के लिए कहां से लाएंगे। कार्यकर्ताओं को हिदायत दी गई कि बैरिकेटों से इस तरह से जूझें कि जैसे चीन की दीवार हो और बैरिकेट ही हमारे असली दुश्मन हैं। उस पार पुलिस सामने की ओर ढकेलते हुए और इस पार आंदोलनकारी अपने सामने की ओर ढकेलते हुए। इस बीच कुछ खिलाड़ी रूल तोड़ के बैरिकेट के ऊपर चढ कर दौड़ लगा देंगे। इससे आंदोलन बहुत क्रांतिकारी दिखाई पड़ेगा। इस पर सुझाव दिया गया कि कुछ पुतले बनवा लिये जाएं। सूचना दी गई कि इसकी चिंता न करें स्टोर में 168 पुतले रखे हैं। और वे किसी का भी पुतला दिख सकने की ताकत रखते हैं।
    चैनल वालों ने सूचित किया कि शाम को प्राइम टाइम के लिए हमने काफी हमलावर किस्म के बहस करने वाले तय किये है। इनकी आक्रामक बहसों से दर्शकों को बहुत मजा आएगा। मीटिंग में बैठे लोगों ने शिकायत की कि कई बार बहस करने वाले अक्ल की बात करने लगते हैं यह ठीक नहीं है। चैनलियों ने कहा कि ध्यान रखा जाएगा कि ऐसा कोई तत्व न आ पाए और बहस शुद्ध राजनैतिक और तू तू मैं मैं से भरपूर हो। मुद्दे पर बात कम से कम हो।
    आंदोलन के बारे में तय किया गया कि यह कई स्तरों पर होगा। अस्पताल में हमला किया जाए। बच्ची को जिस भी अस्पताल में हो वहां से हटवाया जाए। यदि एम्स में हो तो विदेश भेजा जाए आदि। मीटिंग में वरिष्ठ लोगों ने आम लोगों को समझाया कि हर आंदोलन में किसी एक व्यक्ति को खलनायक बनाना होता है। उसी को लक्ष्य करके आंदोलन होता है। इस आंदोलन में ये व्यक्ति पुलिस कमिश्नर, शीला दीक्षित, मनमोहन सिंह  या सोनिया गंाधी बनाई जा सकती है। आंदोलन ने बेहतरीन माहौल बनाया तो मनमोहन सिंह से भी इस्तीफा मांगा जा सकता है। दुनिया में हमारा नाम होगा कि हमने ऐसे मामले में प्रधानमंत्री को लपेट लिया। भारत का लोकतंत्र कितना मजबूत है। एक मुद्दा यह भी था कि बलात्कारी को क्या सजा दी जाए। फांसी पिछले आंदोलन में हो चुकी है। अब कुछ नई सजाओं के बारे में सोचा जाए। जैसे एक की जगह पांच बार फांसी। खौलते तेल में डालना। बधिया करना। पत्थरों से मारना। नौजवानों का विचार था कि सबसे बड़ी सजा ये है कि फांसी बिना सोचे विचारे बिना सबूत, बिना गवाहों के और बिना मुकदमा चलाए तुरंत दे दी जाए। क्योंकि अब हम और इंतजार नहीं कर सकते। बहुत हो चुका। नौजवान इतने तैश में आ गये कि गुस्से के मारे मोमबत्ती लेकर चल पड़े।   
                                                ........सुखनवर

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