Monday, May 13, 2013

क्योंकि भारत एक गरीब देश है।


    अरे हां भाई मैंने इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री को बता दिया। छोड़ दिया मंत्री पद। क्या करता। ये सी बी आई को अपनी कार्यकुशलता साबित करने के लिए मैं ही मिला था ? उधर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सी बी आई को स्वतंत्र होना चाहिए और इधर इनने अपनी स्वतंत्रता की बानगी दिखा दी। मैंने कुछ दिन रास्ता देखा कि मामला शांत हो जाएगा मगर काहे को। रोज नई गिरफतारियां हो रही हैं। ये आजकल के लड़के सचमें कुछ बताते नहीं हैं और क्या क्या कर बैठते हैं। अब मुझे तो भाईसाहब कुछ समझ न आया कि ये हो क्या रहा है। मेरी और मनमोहन जी की हालत यूं समझिये कि बिलकुल एक सी हो गई। वो भी सकते में और मैं भी सकते मे। इस बार मैंने उनका फार्मूला अपनाया। चुप रहा आया। चुप रहने से बात आगे नहीं बढ़ती। कोई कुछ भी कहे चुप रहो। समय काटो। मीडिया भी परेशान हो जाता है। जब हम कुछ बोलेंगे नहीं तो हमारे बारे में कितना कहोगे ? अंत में थक जाओगे।
    अब देखा आपने मैं तो अभी अभी रेल मंत्री बना। इसके पहले तो दूसरे ही रेल मंत्री बनते रहे। सब चुप हैं। कोई कुछ नहीं बोल रहा। किसी ने नहीं कहा कि भाई कांग्रेसी रेल मंत्री को ऐसा नहीं करना चाहिए। रेल मंत्रालय में ये परंपरा नहीं है। रेल मंत्रालय में तो पैसा चलता ही नहीं है। हम लोग तो इसीलिए रेल मंत्री बना करते हैं कि अपने गांव तक रेल बिछवा लें। इससे ज्यादा कुछ नहीं। कोई उनसे ये सवाल नहीं पूछता कि आपको केवल रेल उद्योग के कल्याण की इतनी ललक क्यों रही है। क्यों आपको रेल मंत्रालय ही चाहिए। डी एम के को संचार मंत्रालय ही क्यों चाहिए ? अब समझ में आ रहा है कि सबको देश सेवा के लिए रेल विभाग ही क्यों चाहिए। वो तो ये भांजे भतीजों और सी बी आई के चक्कर में मैं फंस गया वरना आज तक इस मामले में कोई फंसा क्या ? हुआ ये कि कई लोग बनना चाहते थे मेम्बर वगैरह। जो बन गया सो बन गया। जो नहीं बना उसने कहा कि मैं नहीं बना तो क्या हुआ पर मैं खेल तो बिगाड़ सकता हूं। अब इस खेल बिगाड़ के चक्कर में मेरा खेल तो बिगाड़ दिया। मैंने तो इनका कुछ नहीं बिगाड़ा था।
    अब हो ये रहा है कि मेरी कंपनियों की बैलेंस शीट दिखाई जा रही है टी वी पर। बताया जा रहा है कि किस तरह मेरी कंपनियों ने मुनाफा कमाया। ये चैनल वाले खुद तो अपनी कंपनियां चला रहे हैं। मुनाफा कमा रहे हैं। पेड न्यूज के जरिये तक पैसा कमा रहे हैं। काला धन कमा रहे हैं और मुझे आरोपी बना रहे हैं। अरे भई धंधा मुनाफा कमाने के लिए ही किया जाता है। खैरात बांटने के लिए नहीं। अंबानी मुनाफा कमा रहे हैं तो वो उद्योगपति और मेरी कंपनी मुनाफा कमाए तो मैं भ्रष्ट। वाह रे न्याय। मेरा अपराध ये है कि मैं राजनीति में हूं। जो मुनाफाखोर राजनीति में नहीं हैं वो बड़े फायदे में हैं। वो पाक साफ बने हुए हैं जबकि राजनीति उन्हीं के लिए और उन्हीं के मुनाफे के लिए हो रही है।
    भारत एक गरीब देश है। गरीब देश के लोगों की सोच ही गरीब है। गरीब आदमी जब पैसे के बारे में सोचेगा तो कितना सोच पायेगा। उसके लिए लाख पचास हजार बहुत होते हैं। तो ये गरीब आदमी समझ ही नहीं सकते कि हम लोग दिल्ली मुम्बई में कौनसा खेल खेलते हैं। जो लेन देन हम करते हैं उतने पैसे यदि ये गरीब लोग देख भी लें तो मर जाएं। उनकी आंखे चुंधियाएंगी नहीं फूट जाएंगी। संसद में इने गिने सांसद हैं जो गरीब हैं। ये ही कम्युनिष्ट वगैरा। ये तो इतने गरीब हैं कि ये अपनी तनखाह भी पार्टी फंड में दे देते हैं। इन्हें पैसे से प्यार नहीं है। इसीलिए पैसे को इनसे प्यार नहीं है। रहे आओ गरीब।  इन्हें हमने नमूने के लिए रखा है। क्योंकि भारत एक गरीब देश है। ये हमें दुनिया को बताना है। सैकड़ों करोड़ रूपयों के मालिक सांसदों की कमी नहीं है। और क्यों हो साहब। आज कल एक एक लोकसभा चुनाव में दस बीस करोड़ खर्च हो जाते हैं। कौन गरीब आदमी चुनाव लड़ सकता है और मैं तो कहता हूं क्यों लड़े गरीब आदमी चुनाव। वो जीत कर भी क्या कर लेगा। उसके मतलब का कौन सा काम है संसद में। हमें धंधा करना है। पैसा कमाना है। हम संसद में रहेंगे तो हम आगे बढ़ेंगे। देश आगे बढ़ेगा। हमें जी डी पी मतलब है इन्हें जी पी एफ से।
    अब समय आ गया है कि हम गंदी पार्टी पालिटिक्स छोड़ दें। ये कांग्रेस भाजपा का झगड़ा अब खत्म होना चाहिए। सबको मौका मिलना चाहिए। हमें मौका मिल चुका है। काफी दिन हो गये हैं। अब दूसरों को मौका मिलना चाहिए। हमारी जो किस्मत में था हमने पाया। अब हमें एक दूसरे की राह का रोड़ा नहीं बनना चाहिए। उनकी किस्मत का भी उन्हें मिलना चाहिए। वो लोग भी तंग आ गये गये हैं संसद का काम रोक कर। अब रोल बदलना होगा। उनकी तड़फ देखी नहीं जाती। उनकी मुश्किल ये है कि वो एक दो बार देश चला चुके हैं। उनके मुंह में उसका स्वाद है। वो उन्हें सोने नहीं देता। इसीलिए वो संसद रोकते हैं। इस्तीफा मांगते हैं। वो रोज भविष्यवाणी करते हैं। ये सरकार गिर जाएगी। कमजोर सरकार है। पर सरकार है कि चले जा रही है। ऐसे ही चलती रहेगी क्योंकि भारत एक गरीब देश है। भारत का आदमी परम योगी है। वो एक बार वोट देकर निश्चिंत हो जाता है। और वोट देने में वो बहुत उदार है। हम उसे सिखाते भी नहीं और वो सीखता भी नहीं। वो जाति धर्म प्रदेश के प्रति समर्पित है। होना भी चाहिए। इसी में हमारी भलाई है।
    जनाब ये लोकतंत्र है। लोकतंत्र में आप किसी को समझा कर बुद्धि की बातें करके वोट नहीं ले सकते। करोड़ों लोगों से वोट लेना है। एक एक को समझाने बैठे तो हो चुका काम। इसीलिए लोकतंत्र की मजबूती इसी में है कि मूर्ख बनाओ। धड़ल्ले से झूठ बोलो। भावनाओं को भड़काओ। चुनाव जीत जाओगे। क्योंकि मैंने कहा न जी भारत एक गरीब देश है। 

1 comment:

आनंद said...

सच्‍ची बात, लगता है आप परसाई के गांव के रहने वाले हैं...

- आनंद