Sunday, April 19, 2009

एक वो गांधी एक ये गांधी

एक वो गांधी एक ये गांधी
इन दिनां में महात्मा गांधी को लेकर चिन्ता में हूं। उनके नाम का बहुत चर्चा है। उनका हमनाम जेल में है। वो भी कई बार जेल में रहे। जितने बार वर्तमान जेलयात्री का नाम लिया जाता है उतनी बार महात्मा गांधी की याद दिलाई जाती है। वो महात्मा थे तो ये आत्मा तो होंगे ही ऐसा भ्रम पैदा किया जा रहा है। उनने अभी अभी राजनीति में कदम रखा है। और वो भी भाजपा के परचम के तले। वरूण गंाधी खूब प्याज खा रहे हैं । नए मुल्ला हैं। पहले बोलते हैं फिर आडवाणी जी से पूछते हैं कैसी रही। वो कहते हैं बहुत अच्छे, खेंचे रहो। तुम्हें हम पार्टी का महासचिव, पार्टी की केन्द्रीय कार्यकारिणी में लेंगे। तुम चलो नागपुर। तुम्हें बाॅस से मिलवाते हैं। इन पार्टियों में जिस दिन आदमी पार्टी में शामिल होता है उसी दिन पार्टी का महासचिव बना दिया जाता है। केन्द्रीय कार्यकारिणी में शामिल हो जाता है। उसे ये गलतफहमी रहती है कि पार्टी मंे उसकी बड़ी पूछ है। वो नहीं जानता कि वो केवल एक मोहरा है। उसका चेहरा या उसके परिवार का इतिहास बिकाउ है। इसीलिए उसकी पूछ है।
वरूण जी युवा हैं। मुझे लगता है कि उनने वर्तमान भारतीय मीडिया का गहराई से अध्ययन किया है। इसीलिये उन्हें समझ आ गया कि राष्ट्रनेता बनने के लिये कुछ करना जरूरी नहीं है बस मुंह चलाना चाहिये और फिर मीडिया को समझा देना चाहिये कि हमने मुंह चला दिया है। अब आप अपना मंुह चलाओ। फिर कुछ करने की जरूरत नहीं। बाकी काम उत्साही चैनल वाले खुद कर लेंगे। वो जाकर हर पार्टी के नेता से पूछ लेंगे। प्रशंसा निंदा भत्र्सना करवा देंगे और उचित भुगतान मिलने पर दो चार दिन बस आप होंगे और टीवी चैनल के उत्साही छोकरे होंगे। यदि आप चाहें तो आपके किये के बारे में परिचर्चा की जा सकती है। जिसमें पूर्व घोषित टीमें खेलेंगी। एक पूरी तरह विरोध करेगी। एक पूरी तरह समर्थन करेगी। मीडिया चैनल के समन्वयक का काम तो देखने लायक रहता है। वो ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे वे न्यायाधीश और विरोधी पक्ष के वकील हो। वो कड़ी पूछताछ करते हैं और तत्काल निर्णय पारित करते जाते हैं। तो वरूण गांधी अभी चुनाव तक पूरा खेल खेलेंगे। वो हर बाॅल खेलेंगे। उनका सौभाग्य है कि उन्होंने भाजपा का दामन थामा है।
वरूण गांधी से पूछा गया कि आपने सी डी मंे कहा है कि हम मुसलमानों के हाथ काट डालेंगे। उनने कहा कि हमने नहीं कहा। ये सी डी झूठी है। उनसे कहा गया कि आप साबित करिये की सी डी झूठी है तो उनने कहा कि हम साबित नहीं करेंगे हम जेल जायेंगे। लड़का भाजपा का मुल्ला है। हर बात को इशू बनाना जानता है। न्यूज में रहना जानता है। अपराध को वीरता बनाना जानता है। अदालत ने कहा कि हमने आपको गिरफ्तार करने का आदेश नहीं दिया। वरूण ने कहा कि हम तो गिरफ्तार होने के लिए आए है। और गिरफ्तार हुए बिना नहीं मानेंगे। आप गिरफ्तार नहीं करेंगे तो भी हम उपद्रव करंेगे और आप गिरफ्तार करेंगे तो भी हम उपद्रव करेंगे। अदालत को अंत मंे कहना पड़ा कि आप थाने चले जाइये और चाहे जिस धारा में गिरफ्तार हो जाइये। गिरफ्तार वरूण जेल रवाना हो गये। उनके साथ जमा किये गये कई हजार लोग सड़कों पर उपद्रव करते रहे। न्यूज बनाते रहे। उपद्रव का काम पूर्ण हुआ। वापस गये । न्यूज बन गई। वरूण की माता जी बहुत ही अहिंसावादी है। उन्हें जानवरों पर अत्याचार बिल्कुल मंजूर नहीं। कुत्ते बिल्ली चूहे उनके प्रिय जानवर हैं। मुसलमानों को वो जानवर नहीं मानती। इसीलिये उनके लड़के को आजादी है कि वो उनके हाथ पैर काट डालने का आव्हान करे। मेनका गांधी अपने शहीद बच्चे से मिलने गईं। बाहर निकलकर उन्होंने बताया कि वरूण अभिमन्यु है। यानी वो द्रौपदी हुईं। स्वर्गीय संजय गांधी अर्जुन हुए। वो अपने को द्रौपदी क्यों मान रही हैं ? वरूण ने जो कुछ कहा वो अच्छी तरह सोच समझ कर कहा। उसके बाद जानबूझ कर गिरफ्तार हुए। बाद में उनपर रासुका लगा। वो अभिमन्यु कहां हुए। वरूण एक टुच्चे अपराध में जेल में हैं। मगर उनकी माताजी इस कदर गंभीर भाव बनाए हैं जैसे वो शहीद की मां हों।
वरूण चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की टिकट पर। इस सीट से उनकी मां मेनका गांधी सांसद रह चुकी हैं। उनके मुद्दे क्या हैं? उनका मुद्दा है अधिकाधिक उग्र होकर खबरों में छाना। वो बाही तबाही बककर छा चुके हैं। भाजपा की ंिचता ये है कि चुनाव अभी काफी दूर हैं इस तरह के मुद्दे तत्काल भुनाने के लिए हैं। दिन बीतते ही ये बुलबुले के समान बैठ जाते हैं। इसीलिए किसी न किसी तरह इस मामले को जीवित रखना है। खबरें अच्छी आ रही हैं। खबरचियों ने फैला दिया है कि वरूण के मामले से चुनावों में उ प्र में भाजपा की स्थिति सुधरी है। कई सीटों पर फायदा हो रहा है। हिन्दु मुसलमान धर्म के नाम पर इकठ्ठे हो रहे हैं। राजनाथ सिंह की बांछंे खिलीं हुई हैं। सारे नेता यू पी के हैं और यूपी में राम मंदिर भी है और यू पी में भाजपा की लुद्दी सुटी हुई है। वरूण के मामले से भाजपा पहले सकपकाई मगर फिर आत्मविश्वास लौट आया। सोचा यूपी में इसी से नरेन्द्र मोदी का काम ले लेंगे। बेवकूफ है जो कहोगे उससे चार बोल ज्यादा ही बोलेगा। यूपी में विनय कटियारों की कारतूस बेकार हो चुकी हैं। समय आ गया है कि कोई नया बड़बोला तैयार किया जाए। वो तैयार हो चुका है। भाजपा का कहना है कि वो विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है। सच है उसने वरूण गांधी का विकास किया है।
नब्बे के दशक को याद करिये। जब बावरी मस्जिद गिराई गई थी। सड़कों पर यही आडवाणी, यही उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा क्या क्या नहं कहा करती थी। साध्वी ऋतंभरा ने तो कीर्तिमान बनाया था। उनके उच्च विचारों को सुनने से सिर शर्म से झुक जाता था। ऐसी पार्टी चाहती है कि उसे राष्ट्र की बागडोर सौंप दी जाए। सौंप दीजिये। .....................................सुखनवर

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