मेरे हाथ में ताश की गड्डी थमा दी गई है और हर कोई उम्मीद करता है कि मैं इक्का दिखाऊं। मैं कहां से इक्का दिखाऊं। मेरे पास जो पत्ते हैं उनमें इक्के हैं ही नहीं। बहुत दिनों से ये चल रहा था। हर कोई कह रहा था खाली जगह भरो। मंत्रीमंडल के मंत्रीगण लगातार जेल जा रहे हैं। कुछ नए लोगों को मौका दो ताकि वे भी अपना हुनर दिखा सकें। मेरे पास चुनाव का कोई मौका नहीं था। दूसरी पार्टी के मिनिस्टरों की जगह खाली हुई थी। वो बताएं किसको बनाना चाहते हैं। वो तय ही नहीं कर पा रहे थे। ममता बनर्जी चाहती थीं कि वो चीफ मिनिस्टर भी रहें और रेल मिनिस्टर भी। उनकी पार्टी में भी बहुत से लोग उनकी जगह लेना चाहते हैं पर वो देने को तैयार नहीं हैं। उन्हंे लगता है कि आज किसी को बनाया तो कल वो सिर पर चढ़ जाएगा। वही डर जो मायावती को है।
डी एम के की हालत तो आप जानते ही हैं। सब भगे फिर रहे हैं। वहां घर के आदमी के अलावा मिनिस्टर बनाते नहीं हैं। टेलिकाम मंत्री के अलावा कुछ बनते नहीं हैं। स्पेक्ट्रम के अलावा कुछ जानते नहीं हैं। बी एस एन एल की ऐसी तैसी हो गई मिनिस्टर साहब को कोई फर्क ही नहीं है। उनकी बला से। ऐसे तो देश के मंत्रालय चल रहे हैं। शरद पवार हैं। खेती से लेकर क्रिकेट तक सब कुछ सम्हालना चाहते हैं। उन्हें भी कुछ बोल नहीं सकते। कृषि मंत्रालय कैसे चल रहा है भगवान ही जानता है। शरद पवार पुराने घाघ कांग्रेसी हैं। बहुत हुनर पैंतरे जानते हैं। कहीं फंसते नहीं हैं। लड़की दमाद लड़के बच्चे सबको सांसद विधायक बना दिया है। कृषि उत्पादन घट रहा है। खेती घाटे का सौदा हो गई है। लोग खाएंगे क्या जब अनाज पैदा ही नहीं होगा।
फिर भी साहब किया। मंत्री मंडल में फेरबदल किया। इस बार मैंने एक काम अपने मन का किया। पहले से लिस्ट निकलवा दी। जब मेरे को कुछ करने ही नहीं देना है तो मैं क्यों बुरा बनूं। लो बिगाड़ लो जिसको जो कुछ बिगाड़ना है। मुझे तो ताश के पत्ते फेंटना थे। दुक्के तिक्के बदलना थे। इंट की जगह लाल पान और हुकुम की जगह ईंट रखना थी। अब लोग कह रहे हैं मजा नहीं आया। पहले कहते थे इक्का दिखाओ। जब दिखा दिया तो कहने लगे कि ये र्तो इंट का है हमें तो हुकुम का इक्का देखना है। सब तो एक जैसे हैं। किसे बनाओ और किसे हटाओ। इस तरह से देश की सरकार चल रही है। क्या खाक चल रही है। जहां प्रधानमंत्री अपनी मर्जी न चला सके वहां सरकार चलाने का मतलब क्या है।
पहले लालू वगैरह थे तो हंसी ठठ्ठा करके देश को उलझाए रखते थे। अब तो मंत्रीमंडल में कोई है ही नहीं। मैं ही कुछ शेर शायरी कर लेता हूं। देश में पक्ष विपक्ष वकीलों के भरोसे चल रहा है। ये पेशेवर लोग हैं। बात को घुमाना जानते हैं। अभी आपने देखा बाबा रामदेव को कैसा घुमाया कपिल सिब्बल ने। अभी तक बाबा को चक्कर आ रहे हैं। वैसे हमारे देश को वकालत के पेशे से काफी कुछ मिला। नेहरू और गांधी भी वकील थे। उन्हंे बात को रखना और मनवाना आता है। जब से टेलिविजन पर 24 घंटा न्यूज चैनल चालू हुए हैं हर पार्टी को कुछ लोग रखना पड़ रहे हैं जो इनसे निपटते रहें। इसके लिए भी लोग नहीं मिलते। इन्हें पार्टी लाइन के अनुसार बोलना होता है। अब बताइये जब कोई पार्टी लाइन हो तब न उसके अनुसार बोले। इसीलिए वहां भी वकील साहब लोग लगा दिए हैं। उन्हें भी फायदा होता है। हम भी निश्चिंत हो जाते हैं।
मुझे तो मालूम है कि मेरा टेम्परेरी एपांइटमेंट है। राहुल बाबा अभी स्कूल में हैं। ज्योंही उनकी पढ़ाई पूरी हो जाएगी वो आ जाएंगे मैं चला जाऊंगा। ऐसा नहीं है कि मुझे कुछ आता नहीं है। पर मैं कुछ कर नहीं पा रहा। मेरी मुश्किल ये है कि मैं कोई पॉलिसी बना कर लागू नहीं कर पा रहा हूं। मेरी अर्थशास्त्र की पढ़ाई बेकार चली जा रही है। वित्त मंत्रालय में भी एक वकील साहब बैठे हैं। गृहमंत्रालय में दूसरे वकील साहब बैठे हैं। ये अंग्रेजी के भरोसे मंत्रालय चला रहे हैं। जैसे भी चलेगा ये ही चलाएंगे। मैं किसी को बदल तो सकता नहीं। प्रधानमंत्री हूं। .........................................................सुखनवर
Friday, July 15, 2011
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