अनेक मुहावरे हैं जैस होम करते हाथ जले जिनका मायने ये होता है कि आप किसी का भला करने गये और खुद मुसीबत में पड़ गये। अब एक नया मुहावरा बन सकता है कि आप अमर सिंह हो गये। ये तो वही हुआ कि भला करने गये और अमर सिंह हो गये। अमरसिंह एक उद्योगपति हैं। काफी पैसा हो जाने से आदमी अमरसिंह हो जाता है। और अमरसिंह हो जाने से आदमी को यह मुगालता हो जाता है कि पृथ्वी शेषनाग के फन पर स्थापित है और वह शेषनाग मैं हूं। या ये दुनिया मैं चला रहा हंू। या मेरे बिना पत्ता नहीं खड़कता। आजकल मीडिया चैनलों के कारण भी बहुत लोगों को ये गुमान हो जाता है कि इस धरा पर जो कुछ हो रहा है वो उनकी इजाजत से हो रहा है।
जब पहली बार यू पी ए सरकार बनीं तो सोनिया जी ने एक पार्टी दी। सारे यूपीए दलों को बुलाया। वाम दलों को भी बुलाया। सब लोग पार्टी में अंदर थे। अमरसिंह और मुलायम सिंह भी पंहुचे। उन्हंे सोनिया जी ने बुलाया ही नहीं था। पर वामदलों ने कह दिया था कि तुम लोगों को तो बुलाना चाहिए। तुम लोग आ जाना। मगर गेट पर घुसने नहीं मिला। इससे बड़ा अपमान क्या हो सकता है। मगर वाह अमर सिंह। गेट से भगाए जाने को भी झेल गये। बोले हमें भोज में घुसने न मिले तो भी सोनिया जी हमारी नेता हैं। अमरसिंह के पास भांति भांति के गणित रहते हैं। उनने हिसाब लगा लिया कि अभी बुराई मोल लेना ठीक नहीं। उनने ये शिक्षा नहीं ली कि बिना बुलाये खाने पर नहीं जाना चाहिए। आत्मसम्मान की दो रोटी ज्यादा बेहतर हैं।
अमेरिका से परमाणु संधि पर जब विवाद हुआ तो वामदलों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। सरकार अल्पमत में आ गई। अमरसिंह तत्काल सक्र्रिय हो गये। उन्हांेने बिना देर किए सरकार को बहुमत में लाने के लिए प्रयास शुरू कर दिये। उनके प्रयास सफल हुए। सरकार बच गई। जब शादी हो जाती है तो बहुत बार बिचौलिए के योगदान को नकार दिया जाता है। आज पूछा जा रहा है कि अमरसिंह की तो सरकार थी नहीं फिर उसे बचाने के लिए अमरसिंह ने पैसे क्यों लगाए। बातबहादुर अमरसिंह गंभीर रूप से बीमार होने के बावजूद आज तिहाड़ जेल में पंहुच चुके हैं। अमरसिंह की हालत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की सी है। दीवाना आज जेल में है। जिस सरकार को उनने बचाया था वो आज भी है। वो सरकार बेदाग और अमरसिंह दागदार।
अमिताभ बच्चन जब मुसीबत मंे थे तब अमरसिंह ने उनकी सहायता की। वे उनके परिवार के सदस्य बन गये। यहां तक कि समाजवादी पार्टी के प्रचार के लिए निकल पड़े। जया बच्चन सांसद बन गईं। आज अमरसिंह अमिताभ बच्चन के परिवार से बाहर हैं। जया बच्चन समाजवादी पार्टी के अंदर हैं।
हमारे यहां बहुत से प्रांतीय दल राष्ट्रीय दलों से ज्यादा शक्तिशाली हैं मगर राष्ट्रीय मामलों में प्रांतीय दल और उनके नेता चुप रहते हैं। ये राष्ट्रीय सरकार में शामिल होते हैं मगर केवल मलाई खाने के लिए। मठा पीने का काम मुख्य दल को करना होता है। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा। यूपीए हो या एनडीए। जब परमाणु संधि पर विवाद चला तो लगा देश में केवल दो पक्ष हैं कांग्रेस और वामदल। बाकी सब चुप। उनके प्रांत का मामला नहीं है। उनका प्रांत तो जैसे भारत में है ही नहीं।
अमरसिंह पहले मुलायम सिंह के प्रशंसक बने। फिर सलाहकार बने। फिर मालिक बनने की कोशिश करने लगे। उन्हें लगा कि समाजवादी पार्टी उनकी हाई स्कूल छाप अंग्रेजी से चल रही है। समाजवादी पार्टी मुलायमसिंह की प्रोप्राइटरशिप कन्सर्न है। अमरसिंह उसे पार्टनरशिप में बदलना चाहते थे। मुलायमसिंह जी के सुपुत्र पार्टी का नेजा सम्हाल चुके हैं। समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह की बनाई हुई पार्टी है। वो बिना किसी अमरसिंह के सत्ता में आ चुकी है। इसीलिए आज अमरसिंह कहीं नहीं है। पहले भी उनके साथ कोई नहीं है। आज भी उनके साथ कोई नहीं है।
भारत की जनता को इन सब लोगों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए क्यांेकि अंदर क्या पकता है ये हम आप नहीं जानते।
.............................................सुखनवर
09 09 2011
Monday, September 12, 2011
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