बाबा जी मन्ने तो ये बताओ कि तुम भागे क्यों ?
अरे भगते नहीं तो क्या करते ? हमें क्या मालूम था कि आंदोलन करने में पुलिस के डंडे खाने पड़ेंगे। रात को बढ़िया सो रहा था। पुलिस आ गई। बोली चलो उठो। धारा 144 लगा दी है। भगो यहां से। उठाओ बोरिया बिस्तरा। मैंने चारों ओर देखा। आस पास कोई नहीं। बालकृष्ण का भी पता नहीं। जो लोग दिनभर मुझे चढ़ाते रहे वो सब गायब। दिन भर तो कहते रहे बाबा और गाली दो, सरकार से कोई समझौता नहीं करना। अनशन जारी रखना है। सत्याग्रह से अपन सरकार पलट देंगे। रात को सारे गायब। अब मुझे तो काटो तो खून नहीं। जो पुलिस अपने को बाबा जी बाबा जी कहती पीछे पीछे घूमती थी वो लठ्ठ फटकार रही थी। मैं भगा मंच पर आया तो काफी लोग दिखे तो मैंने सोचा इनके बीच घुस जाऊं। मैं मंच के किनारे गया तो किसी ने जोर से धक्का दिया तो मैं मंच के नीचे आ गया। अब तो मुझे खयाल ही नहीं रहा कि मैं रामदेव हूं। मुझे तो बस ये लगा कि मेरे पीछे पुलिस लगी है। मुझे भगना है। मैं भागा। इतने दिनों से योग कर रहा हंू पर सब बेकार। घबराहट के मारे बुरा हाल।
अरे जे सब तो ठीक है पर औरतों के कपड़े क्यों पहन लिये ?
अरे वही तो बता रहा हूं। ये पुलिस का प्रपंच बहुत बुरा है। पूरे पंडाल मंे हल्ला हो रहा था। बाबा कहां हैं कहां है बाबा। सामने माताएं बहनें दिखीं तो मैं जल्दी से जाकर उनके बीच में छुप गया। महिलाओं से मेरी घबराहट देखी नहीं गई। उनने घेरा बना लिया और कहने लगीं बाबा घबराओ मत आप तो हमारे कपड़े पहन लो और हमारे साथ भग चलो। मैंने भी लुंगी फंेकी और सलवार कुर्ता पहना और माताओं बहनों के बीच छुप कर भागा और पास में एक पुल था उसके नीचे छुपा रहा।
अरे पर मन्ने तो ये बताओ कि तुम तो इतने बड़े योगी ठहरे औरतों के कपड़े पहनकर भगते तुम्हें शर्म न आई ?
अरे तू शर्म की बात करता है। अरे यहां जान पर बनी हुई थी। तू तो औरतों के कपड़े की बात करता है मैं तो बिना कपड़ों के भी भाग जाता। मुझे क्या मालूम कि आंदोलन करने में ऐसा होता है। चार चार मंत्री एयरपोर्ट पर लेने आते हैं और फिर पुलिस से पिटवाते हैं। इतना छुपकर भागा फिर भी पुलिस वालों ने पकड़ लिया। साले बहुत बदमाश होते हैं। उनने कहा ये लंबी दाढ़ी वाली औरत कौन है। बस फिर क्या था। मुझे उठाया और जहाज में रखा और हरिद्वार पंहुचा दिया।
अरे पर तेरे चेहरे पर बारा क्यों बजे हुए थे ?
मैं राजनीति करने गया और राजनीति का शिकार हो गया। ये भगवा राजनीति वालों ने मुझे निपटा दिया। मैं सोच रहा था कि मैं योग और राजनीति को मिलाकर कर राष्ट्र का निर्माण करूंगा पर अब मैं केवल योग के काम का रह गया हूं।
हरिद्वार में आकर तुम्हें अनशन करने की क्या सूझी ?
अरे मुझे क्या सूझी साले इन भगवा वालों की जय हो कहने लगे बाबा तुम तो आमरण अनशन करो। ये साले मुझे गाइड का देवानंद बनाना चाह रहे थे। यदि मैं अपनी अकल न लगाता तो इनके चक्कर में तो मर ही जाता। तीन दिनों में ही सर चकराने लगा। मैंने तो तुरंत कहा भैया कोई बहाना बनाओ और मेरा ये अनशन निपटाओ नहीं तो मैं निपट जाउंगा। पूरा धंधा चौपट हो जाएगा। किसी तरह अनशन तोड़ा तो जान बची।
अब आगे क्या करने का इरादा है ?
बड़े लोगों ने कहा है कि धंधे वाले को राजनीति में नहीं पड़ना चाहिये। तो अपन तो अपना धंधा देखेंगे। योग सिखायंेगे। फीस लेंगे। दवाई बेचेंगे दाम लेंगे। स्कूल कालेज विश्वविद्यालय खोल लिए हैं वो चलायेंगे।
जयप्रकाश जी ने जब राजनीति छोड़ी तो उन्हें लाल भगोड़ा कहा जाता था आपको क्या कहा जाएगा ?
भगवा भगोड़ा।
Tuesday, June 28, 2011
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