प्रश्न ये है कि ये विकीलीक्स क्या है ? उत्तर ये है कि भारतवर्ष के लिये ये सबसे बड़ा टाइमपास है। जब दूसरे पर गाज गिरे तो विकीलीक्स की लीक सही है जब अपने पर गिरे तब गलत है। विकीलीक्स को लीक करने वाला बहुत पंहुचा हुआ है। वो एक बार में लीक नहीं करता। एक बार लीक करता है फिर कुछ दिन मजे लेता है। फिर दूसरी लीक कर देता है। फिर मजे लेता है और फिर तीसरी लीक कर देता है। पहले उसने प्रधानमंत्री को फंसाया और संसद में हंगामा करवाया। प्रधानमंत्री और कांग्रेस कहती रही कि ये झूठ है विकीलीक्स की लीक्स भरोसे लायक नहीं हैं। इसके बाद विकीलीक्स ने भाजपा को घेर दिया। अरूण जेटली को फंसा दिया और आडवाणी को फंसवा दिया कि ये कह रहे थे कि आप हमारे अमेरिकाविरोधी बयानों को गंभीरता से न लें हम लोग भारतीय लोग समय समय पर राजनैतिक जरूरत के अनुसार आपको भला बुरा कहते हैं मगर दिल दिमाग से आपके साथ हैं। हम आपको ही अपना माई बाप मानते हैं। हम तो दिखावे के लिए परमाणु संधि का विरोध कर रहे हैं। हम सरकार में होते तो आपको बिलकुल तकलीफ न होती। हम तो बिना कागज देखे दस्तखत कर देते।
दो चक्कर पूरे हो जाने के बाद विकी साहब ने तीसरी लीक कर दी। चिदंबर को फंसवा दिया। कह दिया कि ये हमारे राजदूस से कह रहे थे कि अगर भारत में पश्चिम और दक्षिण हिस्से भर होते तो अच्छा रहता खूब प्रगति होती। बाकी हिस्से देश की सारी प्रगति खा जाते हैं। बस बाकी हिस्सों वाले नेताओं की बन आई। तीसरा मोर्चा खुल गया। इस बार मुलायम सिंह जी यज्ञ की वेदी पर बैठे और अपना आहुति दी। स्वाहा स्वाहा किया और चैन सेे सोये। संसद नहीं चलने दी। कहा चिदंबरम माफी मंागें। अब तो लोकसभा अध्यक्ष को भी समझ में आ गया है कि संसद कैसे चलाना है। उनने मनमोहनसिंह जी से सीख लिया। पहले मामले को टालो। फिर कमेटी या आयोग या समिति के हवाले करने के नाम पर बरकाओ फिर भी बात न बने तो मामले को मचा दो। सो मुलायम सिंह ने संसद नहीं चलने दी और भाजपा ने भी कहा कि हम भी आज बहिष्कार करेंगे और आज के दिन का भत्ता पक्का करेंगे और विश्राम करेंगे। चिदंबर को जी भर कोसा गया। वो थे नहीं। कांग्रेस के मंत्री ने कहा कि विकी लीक्स का भरोसा न किया जाए। कोई आदमी अपने घर चिठ्ठी में क्या लिखता है इससे आपको क्या मतलब ? वो अपनी नौकरी कर रहा है। वो अपने मालिक को खुश करना चाहता है। करे। हमारे चिंदंबर साहब तो संसद में थे नहीं । उनसे बाहर पूछा गया तो हंसे। उनने कहा कि मैं केबिल की निंदा करता हूं। वो हंसे इसलिए कि यदि विरोधी बेवकूफ हो तो राजकाज आसान हो जाता है। उनका राजकाज आसान हो गया। अब संसद में उन्हें कठिन प्रश्नों का उत्तर नहीं देना है। अब उन्हें कोई खतरा नहीं। वो आराम से बैटिंग करेंगे और रन बनायेंगे। अब मंहगाई, बजट की बदमाशियों पर कोई चर्चा नहीं होगी। अब देश में अराजकता और गंुडाराज पर कोई चर्चा नहीं होगी।
मनमोहन सिंह जी की सरकार गिरने वाली थी। उनने रातों रात बहुमत जुटा लिया। बहुत सारे सांसद अपनी पार्टी से पूछ कर या बिना पूछे सरकार के लिए वोट देने राजी हो गए। दरअसल उनका ह्दय परिवर्तन हो गया। उन्हें लगा कि मनमोहन सिंह जी मुसीबत में हैं याने राष्ट्र मुसीबत में है। तो राष्ट्र बचाने के लिए उनने पाला बदल लिया। सब जानते हैं कि इनका हदय परिवर्तन फ्री में तो होता नहीं। जैेसे कोई फ्री में चुनाव जीतता नहीं। इतने समय बाद ये उजागर बात विकीलीक्स ने लीक की। जनता को कोई आश्चर्य नहीं हुआ। आश्चर्य हुआ तो भाजपा को। इसके सांसद उस दिन नोटों के बंडल संसद के अंदर उछाल रहे थे। ये बताने के लिये कि देखो ये पैसे हमें खरीदने को दिये गये पर हम बिके नहीं। कोई बात नहीं। जबकि ये ही सांसद पैसे लेकर संसद में प्रश्न पूछने के आरोप में दंडित हुए।
संसद में एक अद्भुत खिलाड़ी भावना का संचार हो गया है। अब संसद में जो होना चाहिए उसके अलावा सब हो रहा है। रोज संसद ठप्प होती है। रोज हंगामा होता है। रोज आरोप प्रत्यारोप लगते हैं। कोई जीतता नहीं कोई हारता नहीं। दूसरे दिन फिर अखाड़े में लोग जमा हो जाते हैं। वो दिन कब आएगा जब संसद में गंभीर बातचीत होगी। बिलों पर बहस होगी। बहस का परिणाम निकलेगा। पूरी राजनीति दिनभर की मेहनत के बाद शाम को टी वी में प्रमुखता से चर्चित होने पर केन्द्रित हो गई है।
............................सुखनवर
Tuesday, March 29, 2011
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