आजकल हर किसी को ब्रांड एम्बेसेडर की जरूरत पड़ रही है। साबुन तेल शैम्पू वालों का समझ मंे आता है कि उनका कोई ब्रांड है इसीलिए उनको एक नामी गिरामी चेहरा चाहिए जिसे वे बेच सकें और उसके साथ अपना साबुन तेल शैम्पू आदि बेच सकें। धंधे का मामला है। आदमी बेचने और मुनाफा कमाने के लिए कुछ भी कर सकता है। एक मसाले की कंपनी ने अपने दादा जी को ही अपना सामान बेचने के लिए मॉडल बना लिया है। कुछ दिन तक कोफ्त होती थी अब वही स्थापित हो गए हैं। पर क्या चुनाव आयोग कोई गरम मसाला या साबुन या टूथपेस्ट है ? चुनाव आयोग को क्या बेचना है कि वो बंगाल में सौरव गांगुली को ब्रांड एम्बैसेडर बना बैठा है। अब क्या सौरव गांगुली बंगाल में गली गली घूम घूम कर प्रचार करेंगे कि आइये चुनाव आयोग द्वारा आयोजित चुनावों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लीजिए। नक्कालों से सावधान। केवल चुनाव आयोग द्वारा आयोजित चुनाव ही असली हैं। हमारे द्वारा अधिकृत चुनाव केन्द्रों में जाकर ही मत डालें। अपने मत की कीमत समझें। बहकावे में आकर कहीं और वोट न डाल दें। अपना पैसा और वक्त बर्बाद न करें। जब यह बात सौरव गांगुली कहेंगे तो लोग मानने के लिए विवश हो जायेंगे। अभी अभी क्र्रिकेट की दुनिया में बेइज्जत होने के कारण काफी खाली हैं। जब उन्हें क्र्रिकेट से हकाला जा रहा था तो वामपंथियों ने ऐसा माहौल बनाया कि सौरव को बंगाली होने के कारण हकाला गया है। इसीलिए क्रिकेट से सौरव का हकाला जाना बंगालियों के बीच मुद्दा बन गया। अभी सौरव को चुनाव आयोग ने ब्रांड एम्बैसेडर बनाया तो तृणमूल कांग्रेस और ममता बैनर्जी ने आपत्ति दर्ज कर दी। ये तो वामपंथियों से मिला हुआ है। इसे क्यों बनाया गया ? इससे वामपंथियों को फायदा होगा। उधर सौरव गांगुली नई नौकरी पाकर इतने गदगद थे कि तुरंत सफाई दे दी कि मेरा किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है। मैं किसी का प्रचार नहीं करूंगा।
अभी कुछ दिन पहले अमिताभ बच्चन गुजरात के ब्रांड एम्बैसेडर बन गये। अभिताभ जी की एक खासियत है कि जहां भी उन्हें पैसा मिलता है वहां वो कुछ नहीं देखते। पैसे के बदले वो हरकुछ के लिए तैयार हो सकते हैं। पहले जब गोविन्दा ने नवरत्न तेल का विज्ञापन किया तो उसकी बहुत आलोचना हुई। फिर जब इसे अमिताभ बच्चन करने लगे तो सब चुप हो गये। अमिताभ बच्चन ने भी वही कहा था जो सौरव ने कहा है कि मेरी इस नियुक्ति का राजनीति से कोई संबंध नहीं है। गुजरात मेरे देश का एक प्रदेश है उसकी भलाई करना देश की भलाई करना है। अमिताभ को मोदी जी और उनके दंगा आयोजन की क्षमता से कोई बुराई नहीं है। आजकल तो हर धंधे वाले को मोदी जी आदर्श लग रहे हैं। धंधे करने की निर्बाध गारंटी दे रहे हैं। कुछ भी करो। हम हर रोकने वाले के हाथ पैर तोड़ डालेंगे। हमारे प्रदेश में कोई नियम कानून नहीं चलेगा। हम जो चाहेंगे वो होगा। यही तो हिटलर भी कहता था। अमिताभ जी चाहे जब बाल ठाकरे से भी मिल आते हैं। ये सब गैर राजनैतिक है। अभी भी मुलायम सिंह और अमर सिंह सबको एक साथ साध रहे हैं। ये मुलायम सिंह बहुत अद्भुत राजनीतिज्ञ हैं। ये लाल टोपी लगाते हैं और अपने को लोहिया जी का चेला कहते हैं। इस जीवन में पूरे राजनैतिक जीवन में इन्होंने कौन सा ऐसा काम किया है जिससे इन्हें लोहिया जी का चेला कहा जा सके ? इनकी पार्टी का कोई राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। ये इसीलिए हैं कि क्योंकि कोई दूसरा नहीं है। इनके दरवाजे हर किसी के लिए खुले हैं।
आजकल जब तब किसी के द्वारा किसी को ब्रांड एम्बैसेडर बनाने के समाचार आते रहते हैं। चड्डी बनियान तेल साबुन टूथपेस्ट कपड़े लत्ते जूते हर चीज को बेचने के लिए ब्रांड एम्बैसेडर की जरूरत आ पड़ी है। जिन लोगों ने फिल्म आदि में नाम कमा लिया है उनका नाम और चेहरा बिकाउ है। उसे खरीदकर तत्काल सामान बेचने के काम पर लगा दिया जाता है। व्यापारी को अपना सामान बेचने के लिये सबकुछ करना पड़ता है। प्रसिद्धि पाये लोग अपनी प्रसिद्धि को तत्काल भुनाने के लिए बिकने के लिये तत्पर रहते हैं। इससे पहले कि दाम घट जाएं जल्दी जल्दी बिक जाओ। पर चुनाव आयोग किस व्यापारी का सामान है जिसे जनता के बीच बेचना है। ये क्या बेचेंगे? विश्वसनीयता ? ....................................................सुखनवर
Wednesday, May 4, 2011
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