मेरे सामने कुछ और सवाल भी हैं। पिछले बार मैंने कुछ सवाल उठाये थे जिन पर मित्रों ने काफी ध्यान दिया। ये नई किश्त है।
संसद में कोई व्यक्ति केवल एक सीट का प्रतिनिधित्व कर सकता है। फिर वह दो जगह से क्यों खड़ा होता है। पूर्व में जब भी कोई दो सीटों से चुनाव लड़ा है तो वह इसलिए कि एक जगह से नहीं जीत पाया तो दूसरी जगह से तो जीत ही जाउंगा। मगर जिस आदमी का दावा है कि उसकी लहर चल रही है वो यदि दो जगह से चुनाव लड़े तो यह तो तय है कि उसकी लहर पर उसे खुद विश्वास नहीं है। आपका क्या खयाल है। कैसी लहर है ?
देश दुनिया के हाल जानने का हमारे पास क्या साधन है ? टी वी और अखबार। हमारे शहर के अखबार में जो गुजरात से 1000 कि मी दूर है और जिसका गुजरात से कोई संबंध नहीं है गुजरात के मुख्यमंत्री के आदमकद फोटो के साथ गुजरात सरकार का विज्ञापन छपता है। क्या इस विज्ञापन के पैसे का अखबार द्वारा मोदी गुणगान करने से कोई संबंध है ? सवाल है। क्या दिन दिन भर टी वी चैनलों द्वारा मोदी के भाषणों का जीवंत लाइव प्रसारण करने और किसी और का प्रसारण न करने का नगद भुगतान करने के अलावा कोई और कारण हो सकता है। आजकल हर चैनल द्वारा लगभग प्रतिदिन एक नया महा सर्वे और उसका परिणाम घोषित किया जा रहा है। भाजपा को प्राप्त संभावित सीटों की संख्या अब 250 तक पंहुच चुकी है। टारगेट 272 से केवल 22 सीट दूर जबकी पहले मतदान को अभी चार दिन बचे है। क्या इन सर्वे का भुगतान से कोई संबंध है ? मुझे महान पत्रकारों और उनके अनुमानों पर कुछ ज्यादा ही भरोसा हो चला है।
टी वी देखने से पता चलता है कि चुनाव दिल्ली, अमृतसर, रायबरेली, अमेठी, लखनउ और वाराणसी में हो रहा है। बाकी किसी प्रदेश में किसी और सीट पर चुनाव हो रहा है इसका पता चल नहीं पा रहा है। क्या केरल, प बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, यू पी में भी चुनाव हो रहे हैं ? असम, नागालैंड आदि में चुनाव हो रहे हैं या वहां बी जे पी के उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गये हैं।इन प्रदेशांे में किसी की चुनाव सभा हो रही है क्या ? वहां चुनाव के मुद्दे क्या हैं ? केरल में चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जा रहा है।
कुछ बहुत छोटे सवाल हैं -
एफ डी आई के बारे में कांग्रेस और बी जे पी में क्या कोई मतभेद है ? यदि है तो क्या है ? यदि नहीं है तो क्यों नहीं है ?
भारत के सरकारी संस्थानों को देशी विदेशी पूंजीपतियों को बेच देने के बारे में जिसे विनिवेश कहा जाता है क्या बी जे पी और कांग्रेस में क्या कोई मतभेद है ? यदि है तो क्या है ? यदि नहीं है तो क्यों नहीं है ?
केजरीवाल ने गैस के दामों का मामला उठाया है। इस बारे में कांग्रेस और बी जे पी मंे क्या कोई मतभेद है ? यदि है तो क्या है ? यदि नहीं है तो क्यों नहीं है ?
हमारे देश के कानूनों के कारण लाखों बेगुनाग लोग अदालतों, जेलों और थानों के चक्कर काटते रहते हैं। इन कानूनों को बदलने की कोई योजना या इच्छा हमारे देश के राजनीतिक दलों को है या नहीं ?
घरेलू हिंसा, दहेज, नारी के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार, जैसे कारणों से हमारे देश की आधी आबादी घुट घुट कर जीने के लिए मजबूर है। इनकी हालत सुधारने की कोई इच्छा या योजना हमारे देश के राजनैतिक दलों में है या नहीं ?
एसिड से जलाने का कृत्य तो बलात्कार से भी अधिक जघन्य है। उसके लिए मौत की सजा का प्रावधान करने की कोई इच्छा या योजना हमारे देश के राजनैतिक दलों में है या नहीं ?
पर्यावरण को बचाने, पानी को बचाने, भूजल स्तर को बढ़ाने, शहरों को हरा भरा बनाने, आम आदमी को अच्छी सड़क पर चलने, अच्छे हवादार घरों में रहने, ज+हर से मुक्त अच्छा खाना देने की कोई इच्छा या योजना हमारे देश के राजनैतिक दलों में है या नहीं ?
इस देश का गरीब आदमी बिना किसी पास के टिकिट खरीदकर रेलवे के दूसरे दर्र्र्जे के डब्बों में सफर करता है। इन डब्बों और इन यात्रियों की हालत क्या आपने देखी है। इन यात्रियों को मनुष्य समझकर रेलवे के डब्बे आम आदमी के लिए सुलभ कराने की कोई योजना या इच्छा हमारे देश के राजनैतिक दलों में है या नहीं ?
हमारे देश के सरकारी स्कूल जर्जर, टूटे फूटे, गंदगी से बजबजाते, शिक्षक विहीन क्यों हैं ? क्या हमारे देश की बुनियादी शिक्षा में कोई सुधार संभव नहीं है ? इसकी कोई योजना या इच्छा हमारे देश के राजनैतिक दलों में है या नहीं ?
हमारे देश के सरकारी अस्पताल जर्जर, सुविधाहीन, डाक्टर विहीन क्यों हैं ? क्या हमारे देश की बुनियादी स्वास्थ्य व्यवस्था में कोई सुधार संंभव नहीं है ? क्यों नहीं है ?
हमारे देश में लाखों मजदूर एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश जाकर मेहनत कर जीवनयापन करते हैं। इनके लिए किसी राजनैतिक दल में कोई सोच है या नहीं ? क्यों नहीं है ?
आज नौकरी करने वालों के लिए काम के घंटे, स्वास्थ्य, मनोरंजन, परिवार, कला, संस्कृति सभी कुछ स्वाहा हो चुका है। इन रोबोटों के लिए किसी राजनैतिक दल में कोई सोच है या नहीं ? क्यों नहीं है ?
यदि हम इन बातों पर विचार नहीं करते और राजनैतिक दल इन बातों के लिए जवाबदेह नहीं हैं तो आपके वोट देने का मतलब क्या है ? आप वोट नहीं भी देंगे तो भी चलेगा न ? आपका वोट कीमती है इस मुगालते में न रहें। लोकतंत्र के इस उत्सव में आपके वोट के दीपक से किसी और के महल में उजाला होगा। आपका बस तेल जलेगा। 06 04 2014
No comments:
Post a Comment