वो सवालों की तरफ से बेफिक्र थे। सवाल पहले से तय थे। जवाब भी तैयार थे। बोलना भर था। बटुक पत्रकार ने पूछ लिया। जवाब आना चालू हुआ ’ बनारस के मुसलमानों को मैं प्यार करूंगा। 16 मई के बाद मैं उन्हंंे इतना प्यार करूंगा जितना किसी नेता ने नहीं किया होगा।’ बात गौर करने लायक है। साफगोई जबरदस्त है। बंदा प्यार करने को तैयार है मगर चुनाव का परिणाम तो आ जाए। फिर कर लेंगे प्यार। प्यार करने लायक तो हो जाएं। हो सकता है प्यार करने की जरूरत ही न रहे। बिना जरूरत क्यों प्यार करें। और फिर ये भी तो देख लें कि इन लोगों ने वोट किसे दिया है। मुझे इनके वोट तो चाहिए ही नहीं। मुझे मिलेंगे भी नहीं। 2002 से लेकर अब तक जो भी किया है वो इसीलिए थोड़े किया है कि इनके वोट चाहिए। गुजरात में कुल 19 सीटें विधानसभा की ऐसी हैं जहां इनके वोट से कोई फर्क पड़ सकता है। मैं तो चाहता ही हूं कि ये 20 फीसदी लोग इकठ्ठे होकर मेरे खिलाफ हो जाएं। जब ये इकठ्ठे हो जाएंगे तभी तो इनके खिलाफ 80 फीसदी लोग इकठ्ठे होंगे। अपनी अपनी राजनीति है। यही तो धु्रवीकरण है। पोलराइजेशन। इसीलिए तो मैंने सोनिया पर अटैक किया कि तुम मुसलमानों को पोलराइज कर रही हो। अपना उद्देश्य था कि हिन्दुओं तक संदेश पंहुच जाए कि वो लोग इकठ्ठे हो रहे हैं तुम भी इकठ्ठे हो। वो कांगे्रस को दे रहे हैं तुम भाजपा को दो। हमारे संघ की राजनीति ये है कि हमें 80 प्रतिशत को धर्म के नाम पर इकठ्ठे करना है। जातिवाद के हम भी विरोधी हैं। इसलिए नहीं कि ये बुरी बात है। नहीं। बिल्कुल नहीं। हम विरोधी इसलिए है कि हम कहते हैं कि गर्व से कहो हम हिन्दू हैं, हम भाजपा के वोटर हैं मगर ये कहते हैं कि हम हिन्दू तो हैं मगर सबसे पहले हम ब्राह्मण हैं या ठाकुर हैं या बनिया हैं या फिर यादव, कुर्मी, जाटव, लोधी न जाने क्या क्या हैं ? जिस दिन ये लोग अपने को जाति से उठकर हिन्दू मानने लगेंगे हमारी बन आएगी। फिर देखते हैं हमें सत्ता में आने सेे कौन रोकता है।’
सुखनवर की चिन्ता दूसरी है। बिका हुआ मीडिया जिस ईमानदारी से अपना पैसा चुकाने में लगा है उससे देश में सचमुच एक ध्रुवीकरण हो तो रहा है। ये मोदी का अखंड पाठ मुद्दों से दूर धर्म की लड़ाई बनता जा रहा है। मीडिया की लड़ाई तो मोदी ने जीत ली है। अब तो ये माहौल हो गया है कि बिना पैसे मिले भी मीडियावाला आएं बाएं शाएं बकने में लगा है। युवा मीडियाकर्मियों का जोश तो देखते ही बनता है। जब वे कैमरा पर्सन के साथ अपना नाम बताते हैं तो उनके चेहरे का नूर देखने लायक होता है। 16 मई को ये सब थम जाएगा। परिणाम आ जाएंगे। अभी तो मीडिया के भरोसे मोदी जी को शायद दो तिहाई या तीन चैथाई बहुमत मिल रहा है। ये बोलने के लिए भुगतान हो चुका है। कुछ सर्वे भी तैयार हैं जो आज कल में आ जाएंगे। मगर असली परिणाम के बाद क्या होगा। ये जो हिन्दू मुसलमान का उन्माद पैदा किया है चुनाव में बहुमत न मिलने पर, मोदी की सरकार न बनने पर क्या होगा ? दोष किस पर आएगा। जाहिर है ये हिन्दुओं का दोष नहीं होगा। ये दोष ’उन लोगों’ का होगा। तब क्या होगा ? जिस गैर जिम्मेदारी से ये उन्माद इस ऊंचाई पर पंहुचाया गया है वो यूं ही तो खत्म नहीं होगा। होने भी नहीं दिया जाएगा। तब के लिए देश की क्या तैयारी है। कितने गुजरात और कितने मुजफ्फरनगर हो सकते हैं इसके बारे में भी अभी से सोच लिया जाए। क्योंकि कई विद्वानों का कहना है कि संघ परिवार को 2014 का चुनाव नहीं 2019 का चुनाव जीतना है। उनका लक्ष्य ये है।
इस आपाधापी में आम जन कहीं दूर छिटका पड़ा है। उसकी बात तो हो रही है पर उसके लिए नहीं हो रही। आजादी के इतने साल बाद भारत के चुनाव के मुद्दे क्या हैं ? सोनिया गांधी विदेशी है। राहुल अनुभवहीन है। कांग्रेस भ्रष्टाचार करती है। भाजपा साम्प्रदायिक है। हम जोड़ते हैं वो तोड़ते हैं। घोटाले, राबर्ट वाड्रा ये सब तो हो गया। मगर ये तो बताओ कि तुम्हारी सरकार आ जाएगी तो तुम्हारी आर्थिक नीति क्या होगी ? औद्योगिक नीति क्या होगी ? श्रम नीति क्या होगी ? मनरेगा अच्छा है या बुरा है ? भूजल के लिए क्या करोगे ? बड़े बांध अच्छे हैं या बुरे हैं ? खेती को लाभ का काम कैसे बनाओगे ? देश में स्वास्थ्य सेवाओं का कबाड़ा हो चुका है, प्राथमिक शिक्षा का सत्यानाश हो चुका है। उसके लिए क्या योजना है ? हमारे देश की भाषाओं की मौत हो रही है उसके लिए क्या करोगे ? टैक्सों का क्या करोगे ? लगाओगे या टैक्स लेना बंद कर दोगे ? कुछ तो बताओ। कांग्रेस तो बहुत बुरी है पर अपनी योजना तो बताओ ? पेट्रोल,डीजल के दाम का क्या करोगे ? सब्जियों अनाजों के दाम कैसे घटाओगे और तुम्हारे राज में दाम कितने हो जाएंगे ?
काला धन कैसे वापस आएगा ? काला धन जिनका है उन भारत के वीर सपूतों के साथ क्या करोगे ? रामदेव ने कहा है कि केवल बैंकिग ट्रांजेक्शन टैक्स लगाने के बाद किसी टैक्स की जरूरत नहीं रहेगी। उसके बारे में भाजपा का क्या कहना है। ऐसा भी किया जा सकता है कि बाबा अपनी ही कंपनी के लेन देन पर टैक्स की गणना कर लें। बता दें कि अभी कितना टैक्स देते हैं और यदि उनके अनुसार बैंकिग ट्रांजेक्शन टैक्स लग जाएगा तो वे कितना गुना ज्यादा टैक्स देंगे। वो चाहें तो पिछले दस सालों की गणना करके पिछला टैक्स भी दे सकते हैं आखिर राष्ट्र का सवाल है।.............................सुखनवर
28 04 2014
सुखनवर की चिन्ता दूसरी है। बिका हुआ मीडिया जिस ईमानदारी से अपना पैसा चुकाने में लगा है उससे देश में सचमुच एक ध्रुवीकरण हो तो रहा है। ये मोदी का अखंड पाठ मुद्दों से दूर धर्म की लड़ाई बनता जा रहा है। मीडिया की लड़ाई तो मोदी ने जीत ली है। अब तो ये माहौल हो गया है कि बिना पैसे मिले भी मीडियावाला आएं बाएं शाएं बकने में लगा है। युवा मीडियाकर्मियों का जोश तो देखते ही बनता है। जब वे कैमरा पर्सन के साथ अपना नाम बताते हैं तो उनके चेहरे का नूर देखने लायक होता है। 16 मई को ये सब थम जाएगा। परिणाम आ जाएंगे। अभी तो मीडिया के भरोसे मोदी जी को शायद दो तिहाई या तीन चैथाई बहुमत मिल रहा है। ये बोलने के लिए भुगतान हो चुका है। कुछ सर्वे भी तैयार हैं जो आज कल में आ जाएंगे। मगर असली परिणाम के बाद क्या होगा। ये जो हिन्दू मुसलमान का उन्माद पैदा किया है चुनाव में बहुमत न मिलने पर, मोदी की सरकार न बनने पर क्या होगा ? दोष किस पर आएगा। जाहिर है ये हिन्दुओं का दोष नहीं होगा। ये दोष ’उन लोगों’ का होगा। तब क्या होगा ? जिस गैर जिम्मेदारी से ये उन्माद इस ऊंचाई पर पंहुचाया गया है वो यूं ही तो खत्म नहीं होगा। होने भी नहीं दिया जाएगा। तब के लिए देश की क्या तैयारी है। कितने गुजरात और कितने मुजफ्फरनगर हो सकते हैं इसके बारे में भी अभी से सोच लिया जाए। क्योंकि कई विद्वानों का कहना है कि संघ परिवार को 2014 का चुनाव नहीं 2019 का चुनाव जीतना है। उनका लक्ष्य ये है।
इस आपाधापी में आम जन कहीं दूर छिटका पड़ा है। उसकी बात तो हो रही है पर उसके लिए नहीं हो रही। आजादी के इतने साल बाद भारत के चुनाव के मुद्दे क्या हैं ? सोनिया गांधी विदेशी है। राहुल अनुभवहीन है। कांग्रेस भ्रष्टाचार करती है। भाजपा साम्प्रदायिक है। हम जोड़ते हैं वो तोड़ते हैं। घोटाले, राबर्ट वाड्रा ये सब तो हो गया। मगर ये तो बताओ कि तुम्हारी सरकार आ जाएगी तो तुम्हारी आर्थिक नीति क्या होगी ? औद्योगिक नीति क्या होगी ? श्रम नीति क्या होगी ? मनरेगा अच्छा है या बुरा है ? भूजल के लिए क्या करोगे ? बड़े बांध अच्छे हैं या बुरे हैं ? खेती को लाभ का काम कैसे बनाओगे ? देश में स्वास्थ्य सेवाओं का कबाड़ा हो चुका है, प्राथमिक शिक्षा का सत्यानाश हो चुका है। उसके लिए क्या योजना है ? हमारे देश की भाषाओं की मौत हो रही है उसके लिए क्या करोगे ? टैक्सों का क्या करोगे ? लगाओगे या टैक्स लेना बंद कर दोगे ? कुछ तो बताओ। कांग्रेस तो बहुत बुरी है पर अपनी योजना तो बताओ ? पेट्रोल,डीजल के दाम का क्या करोगे ? सब्जियों अनाजों के दाम कैसे घटाओगे और तुम्हारे राज में दाम कितने हो जाएंगे ?
काला धन कैसे वापस आएगा ? काला धन जिनका है उन भारत के वीर सपूतों के साथ क्या करोगे ? रामदेव ने कहा है कि केवल बैंकिग ट्रांजेक्शन टैक्स लगाने के बाद किसी टैक्स की जरूरत नहीं रहेगी। उसके बारे में भाजपा का क्या कहना है। ऐसा भी किया जा सकता है कि बाबा अपनी ही कंपनी के लेन देन पर टैक्स की गणना कर लें। बता दें कि अभी कितना टैक्स देते हैं और यदि उनके अनुसार बैंकिग ट्रांजेक्शन टैक्स लग जाएगा तो वे कितना गुना ज्यादा टैक्स देंगे। वो चाहें तो पिछले दस सालों की गणना करके पिछला टैक्स भी दे सकते हैं आखिर राष्ट्र का सवाल है।.............................सुखनवर
28 04 2014
1 comment:
16 may ko yeh sab thamega nahi Himanshu bhai.Abhi to ganith baki hai, phir jod-tod hoga, khareed farokt hona baki hai , phir post ki kashmakash aur haar gasye to samajh lo agle 5 saal tak phir parliament me hangama, bahishkaar ityadi ityadi!!
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